शिक्षा” (Education) और “ज्ञान” (Knowledge) — दोनों शब्द सुनने में समान लगते हैं, परंतु वैदिक दृष्टि से इनका अर्थ, उद्देश्य और प्रभाव में गहरा अंतर है। आज के युग में
शिक्षा” (Education) और “ज्ञान” (Knowledge) — दोनों शब्द सुनने में समान लगते हैं, परंतु वैदिक दृष्टि से इनका अर्थ, उद्देश्य और प्रभाव में गहरा अंतर है। आज के युग में
भारत केवल एक भौगोलिक भूमि नहीं, यह एक संस्कार आधारित चेतना है। इस राष्ट्र की आत्मा “धर्म” है — और धर्म की शिक्षा का केंद्र रहा है गुरुकुल।गुरुकुल वह स्थान
विवाह भारतीय संस्कृति में केवल एक सामाजिक अनुबंध नहीं, बल्कि संसार का सबसे पवित्र संस्कार माना गया है। वैदिक साहित्य विवाह को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थों की
नवरात्रि केवल नौ दिनों का धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह जीवन प्रबंधन, आत्म-शुद्धि और शक्ति साधना का अनोखा उत्सव है। भारत की सांस्कृतिक परंपरा में यह पर्व हर युग
भारत में शिक्षा सदियों से “जीवन जीने की कला” और “समाज के कल्याण” के लिए होती थी। गुरुकुलों में पढ़ाई केवल अक्षरज्ञान तक सीमित नहीं थी, बल्कि जीवन कौशल, नैतिकता,
यदि ईश्वर करुणामय है तो सृष्टि में इतना दुःख क्यों है? यह प्रश्न केवल आधुनिक चिंतन नहीं, अपितु ऋषियों, मुनियों, तत्त्वचिंतकों, और महान दार्शनिकों के मन में भी उत्पन्न हुआ
आज के युग में तनाव (Stress), चिंता (Anxiety) और डिप्रेशन (Depression) जीवन का हिस्सा बनते जा रहे हैं। नौकरी का दबाव, रिश्तों में असंतुलन, भविष्य की अनिश्चितता और सामाजिक अपेक्षाएं
भारतीय अध्यात्म में एक प्रश्न सदा से लोगों को उलझाता रहा है — “लोक” का अर्थ क्या है? क्या भूलोक, स्वर्लोक, महर्लोक जैसे लोक कोई आकाशीय ग्रह हैं? या ये
भारतवर्ष की पहचान सदैव उसके ज्ञान और संस्कृति से रही है। इस पहचान को अक्षुण्ण बनाए रखने में गुरु-शिष्य परंपरा का सबसे बड़ा योगदान है। सनातन धर्म में ज्ञान केवल
वेद मानवता के प्राचीनतम ग्रंथ हैं, जिनमें न केवल आध्यात्मिक ज्ञान है, अपितु एक संतुलित समाज निर्माण की संपूर्ण रूपरेखा भी है। वेदों में वर्णित समाज व्यवस्था मात्र एक वर्गीकरण







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Kautilya Nalinbhai Chhaya: ગુરુકુળ થી ભારત નિર્માણ શક્ય છે
Kautilya Nalinbhai Chhaya: We Will Implement this in Our Life
Kautilya Nalinbhai Chhaya: I Choose Niskam Karma Not Sanyas