नवरात्रि केवल नौ दिनों का धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह जीवन प्रबंधन, आत्म-शुद्धि और शक्ति साधना का अनोखा उत्सव है। भारत की सांस्कृतिक परंपरा में यह पर्व हर युग
नवरात्रि केवल नौ दिनों का धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह जीवन प्रबंधन, आत्म-शुद्धि और शक्ति साधना का अनोखा उत्सव है। भारत की सांस्कृतिक परंपरा में यह पर्व हर युग
भारत में शिक्षा सदियों से “जीवन जीने की कला” और “समाज के कल्याण” के लिए होती थी। गुरुकुलों में पढ़ाई केवल अक्षरज्ञान तक सीमित नहीं थी, बल्कि जीवन कौशल, नैतिकता,
यदि ईश्वर करुणामय है तो सृष्टि में इतना दुःख क्यों है? यह प्रश्न केवल आधुनिक चिंतन नहीं, अपितु ऋषियों, मुनियों, तत्त्वचिंतकों, और महान दार्शनिकों के मन में भी उत्पन्न हुआ
आज के युग में तनाव (Stress), चिंता (Anxiety) और डिप्रेशन (Depression) जीवन का हिस्सा बनते जा रहे हैं। नौकरी का दबाव, रिश्तों में असंतुलन, भविष्य की अनिश्चितता और सामाजिक अपेक्षाएं
भारतीय अध्यात्म में एक प्रश्न सदा से लोगों को उलझाता रहा है — “लोक” का अर्थ क्या है? क्या भूलोक, स्वर्लोक, महर्लोक जैसे लोक कोई आकाशीय ग्रह हैं? या ये
भारतवर्ष की पहचान सदैव उसके ज्ञान और संस्कृति से रही है। इस पहचान को अक्षुण्ण बनाए रखने में गुरु-शिष्य परंपरा का सबसे बड़ा योगदान है। सनातन धर्म में ज्ञान केवल
वेद मानवता के प्राचीनतम ग्रंथ हैं, जिनमें न केवल आध्यात्मिक ज्ञान है, अपितु एक संतुलित समाज निर्माण की संपूर्ण रूपरेखा भी है। वेदों में वर्णित समाज व्यवस्था मात्र एक वर्गीकरण
महान व्यक्तित्व वह नहीं जो धन, बल या प्रसिद्धि से परिभाषित हो, बल्कि वह है जिसमें मानवीय गुणों की सच्ची समझ और अभिव्यक्ति हो। संस्कृत साहित्य और भारतीय दर्शन में
मानव समाज में शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए दुष्टों का दमन आवश्यक है। सनातन धर्म के ग्रंथों में स्पष्ट उल्लेख है कि दुष्टों को क्षमा करना या उन्हें
मनुष्य के जीवन में संघर्ष और विरोधाभास सदैव विद्यमान रहते हैं। चाहे वह राजनीति हो, व्यापार हो, या पारिवारिक जीवन, विवादों का समाधान करने के लिए विभिन्न नीतियों का प्रयोग
Manoj kumar jangir: बहुत सुन्दर
Durga Charan Gagrai: इस संसार में पुरुषार्थ मनुष्य जीवन है
Amar Nath Sharma: Very nice
Kalpesh M Bhatia: I’m so happy to see that you are giving best knowledge of Shastra and Veda in true form