काम, क्रोध, मोह, लोभ, मत्सर – नरक के पांच द्वार: सनातन दृष्टिकोण से एक गहन विश्लेषण

काम, क्रोध, मोह, लोभ, मत्सर – नरक के पांच द्वार: सनातन दृष्टिकोण से एक गहन विश्लेषण

मानव जीवन में भावनाएँ और वासनाएँ स्वाभाविक हैं, किंतु जब ये अनियंत्रित हो जाती हैं, तो व्यक्ति आध्यात्मिक दृष्टि से पतन की ओर अग्रसर हो जाता है। सनातन वैदिक धर्मग्रंथों में नरक के पाँच प्रमुख द्वार—काम, क्रोध, मोह, लोभ, मत्सर—का विशेष उल्लेख मिलता है। इन्हें “पंच महापाप” भी कहा गया है, जो आत्मा की उन्नति … Read more

वेदों की समाज व्यवस्था: उद्देश्य, प्रकार और महत्व

वेदों की समाज व्यवस्था: उद्देश्य, प्रकार और महत्व

वेद मानवता के प्राचीनतम ग्रंथ हैं, जिनमें न केवल आध्यात्मिक ज्ञान है, अपितु एक संतुलित समाज निर्माण की संपूर्ण रूपरेखा भी है। वेदों में वर्णित समाज व्यवस्था मात्र एक वर्गीकरण नहीं, बल्कि मानव जीवन के विविध गुणों, प्रवृत्तियों और कर्म के अनुसार समाज को संगठित करने की एक वैज्ञानिक, नैतिक और धार्मिक प्रक्रिया है। इसका … Read more

वेदवाणी की उत्पत्ति: सृष्टि के प्रारंभ में मानव ने वेदों का ज्ञान कैसे पाया?

वेदवाणी की उत्पत्ति: सृष्टि के प्रारंभ में मानव ने वेदों का ज्ञान कैसे पाया?

“वेद” – एक ऐसा शब्द जो केवल ग्रंथों का नाम नहीं, बल्कि ब्रह्माण्ड के मूल नियमों, चेतना, ध्वनि और ऊर्जा के शाश्वत स्त्रोत का परिचायक है। यह केवल चार पुस्तकों तक सीमित नहीं, अपितु सृष्टि के आरंभ से ही अस्तित्व में रही एक दिव्य ध्वनि-श्रृंखला है। आज का यह ब्लॉग इसी विषय की गहराई में … Read more

सूर्य से नेतृत्व की सीख: स्थिरता और ऊर्जा का महान स्रोत

सूर्य से नेतृत्व की सीख: स्थिरता और ऊर्जा का महान स्रोत

ऋग्वेद में सूर्य को ब्रह्मांड का नेत्र कहा गया है – जो प्राणदायक भी है और अंधकार का संहारक भी। सूर्य केवल एक खगोलीय पिंड नहीं है, बल्कि यह जीवन, प्रकाश, ऊर्जा, अनुशासन, समयबद्धता और नेतृत्व का प्रतीक है। भारतीय संस्कृति में सूर्य को ‘संपूर्ण जीवन-चक्र का स्रोत’ माना गया है। इस ब्लॉग में हम … Read more

आयुर्वेद का दृष्टिकोण: जीवन जीने की संहिता

आयुर्वेद का दृष्टिकोण जीवन जीने की संहिता

आयुर्वेद मात्र रोगों की चिकित्सा पद्धति नहीं, बल्कि एक संपूर्ण जीवनशैली है। यह शरीर, मन और आत्मा को संतुलन में रखते हुए दीर्घायु, आरोग्य और आनंददायक जीवन प्रदान करने वाली वैज्ञानिक प्रणाली है। चरक संहिता में कहा गया है: “स्वस्थस्य स्वास्थ्य रक्षणं, आतुरस्य विकार प्रशमनं च”— (चरक संहिता, सूत्रस्थान 30.26) अर्थात् – स्वस्थ व्यक्ति के … Read more

धर्म का कठिन मार्ग Vs अधर्म का सरल रास्ता: एक गहन विश्लेषण

धर्म का कठिन मार्ग Vs अधर्म का सरल रास्ता एक गहन विश्लेषण

मनुष्य के जीवन में धर्म और अधर्म दो ऐसे पथ हैं जो प्रत्येक क्षण निर्णय की कसौटी पर उसे खड़ा करते हैं। धर्म का मार्ग प्रायः कठिन प्रतीत होता है—संयम, त्याग, अनुशासन और आत्मसंयम से भरा हुआ। इसके विपरीत अधर्म का मार्ग तात्कालिक सुख, भोग, सुविधा और स्वतंत्रता का भ्रम देता है, जो देखने में … Read more

सर्वोत्तम मानवीय गुण: दृढ़ता, विनम्रता, दया और ज्ञान

sarvottam maanaveey gun drdhata vinamrata daya aur gyaan

महान व्यक्तित्व वह नहीं जो धन, बल या प्रसिद्धि से परिभाषित हो, बल्कि वह है जिसमें मानवीय गुणों की सच्ची समझ और अभिव्यक्ति हो। संस्कृत साहित्य और भारतीय दर्शन में श्रेष्ठ व्यक्ति के लक्षणों को स्पष्ट किया गया है – श्रेष्ठ व्यक्ति में दृढ़ता हो पर जिद नहीं, वाणी हो पर कटु नहीं, दया हो … Read more

दुष्टों का दमन: सनातन धर्म की अनिवार्यता

मानव समाज में शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए दुष्टों का दमन आवश्यक है।

मानव समाज में शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए दुष्टों का दमन आवश्यक है। सनातन धर्म के ग्रंथों में स्पष्ट उल्लेख है कि दुष्टों को क्षमा करना या उन्हें अनदेखा करना समाज के लिए घातक होता है। श्रीमद्भगवद्गीता, मनुस्मृति, रामायण और महाभारत जैसे शास्त्रों में यह सिद्धांत बार-बार दोहराया गया है कि “शांति केवल न्याय … Read more

साम, दाम, दंड, भेद – सनातन नीति का चतुष्टय उपाय

साम, दाम, दंड, भेद – सनातन नीति का चतुष्टय उपाय

मनुष्य के जीवन में संघर्ष और विरोधाभास सदैव विद्यमान रहते हैं। चाहे वह राजनीति हो, व्यापार हो, या पारिवारिक जीवन, विवादों का समाधान करने के लिए विभिन्न नीतियों का प्रयोग किया जाता है। प्राचीन भारतीय शास्त्रों में इन नीतियों को “साम, दाम, भेद, दंड” के रूप में वर्णित किया गया है। यह चतुर्विधि उपाय न केवल राजनीति … Read more

मजहब, रिलिजन और धर्म में अंतर – एक गहन विश्लेषण

मजहब, रिलिजन और धर्म में अंतर - एक गहन विश्लेषण

आजकल संप्रदायों और विभिन्न मतमतांतरों ने धर्म शब्द का व्यापक रूप से दुरुपयोग किया है, जिसके परिणामस्वरूप धर्म के नाम पर अनेक झगड़े हो रहे हैं। यह प्रश्न उठता है कि धर्म वास्तव में है क्या? कई लोग धर्म को ‘रिलीजन’ या ‘मजहब’ के रूप में देखते हैं, लेकिन ये शब्द धर्म के वास्तविक अर्थ … Read more

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