वैदिक जीवन प्रबंधन: हर समस्या का स्थायी समाधान

वैदिक जीवन प्रबंधन: स्वास्थ्य, परिवार, करियर और तनावमुक्त जीवन का सनातन मार्ग - Live Class

आज के आधुनिक युग में मनुष्य ने विज्ञान और तकनीक के माध्यम से अद्भुत प्रगति की है — लेकिन क्या सच में उसने शांति पाई है? जिस तेज गति से भौतिक सुख-सुविधाएँ बढ़ी हैं, उसी रफ्तार से मानसिक तनाव, पारिवारिक विघटन, नैतिक पतन और आत्महत्या जैसी समस्याएँ भी बढ़ी हैं। आज के मानव जीवन में … Read more

सप्त लोकों का रहस्य: भौगोलिक भ्रम या चेतना का विज्ञान

सप्त लोकों का रहस्य: भौगोलिक भ्रम या चेतना का विज्ञान

भारतीय अध्यात्म में एक प्रश्न सदा से लोगों को उलझाता रहा है — “लोक” का अर्थ क्या है? क्या भूलोक, स्वर्लोक, महर्लोक जैसे लोक कोई आकाशीय ग्रह हैं? या ये आत्मा की चेतना की अवस्थाएँ हैं? सनातन ज्ञान लोकों को केवल भौगोलिक स्थान नहीं मानता।लोक का शाब्दिक अर्थ है — ‘लक्ष्य स्थान’, ‘स्थिति’ या ‘जगह’।पर … Read more

गुरु-शिष्य परंपरा और गुरुकुल: शुद्ध ज्ञान का सनातन स्रोत

गुरु-शिष्य परंपरा और गुरुकुल

भारतवर्ष की पहचान सदैव उसके ज्ञान और संस्कृति से रही है। इस पहचान को अक्षुण्ण बनाए रखने में गुरु-शिष्य परंपरा का सबसे बड़ा योगदान है। सनातन धर्म में ज्ञान केवल सूचना या डिग्री प्राप्ति का साधन नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और चरित्र निर्माण का माध्यम है। गुरुकुल इस विचार को मूर्त रूप देने का … Read more

धर्म और राजनीति का संबंध : धर्मविहीन राजनीति के दुष्परिणाम – वैदिक दृष्टि से विश्लेषण

धर्मविहीन राजनीति के दुष्परिणाम

भारतवर्ष की राजनीति सदैव धर्म से पोषित रही है। ‘धर्म’ केवल पूजा-पद्धति नहीं, बल्कि जीवन पद्धति और नीति का आधार है। जब राजनीति से धर्म अलग होता है, तब सत्ता स्वार्थ और भ्रष्टाचार का माध्यम बन जाती है। आज के भारत में यह विषय पहले से अधिक प्रासंगिक हो गया है। वेद, उपनिषद, महाभारत, रामायण, … Read more

वेदिक शास्त्रों में वर्ण और जाति: भ्रांतियाँ और समाधान

वैदिक शास्त्रों से जातिवाद का समाधान

वर्तमान भारतीय समाज की सबसे बड़ी कमजोरी जातिवाद है। यह विडंबना ही है कि जिसने संसार को वेद, उपनिषद, शास्त्र और ज्ञान दिए उसी समाज ने वर्ण व्यवस्था को जाति व्यवस्था में बदलकर अपने पैरों पर स्वयं ही कुल्हाड़ी चला दी। ब्राह्मण तथा शूद्र शब्द को लेकर समाज में अनेक भ्रांतियाँ हैं। इनका समाधान करना … Read more

ब्राह्मण जन्म से नहीं, कर्म से बनता है – शास्त्रों से जानिए सच

ब्राह्मण जन्म से नहीं, कर्म से बनता है

आज के समाज में जातिवाद एक ऐसी सामाजिक कुरीति बन चुका है, जिसने एकता और वैदिक मूल्यों को गहरा आघात पहुँचाया है। विशेषतः “ब्राह्मण” शब्द को लेकर फैली भ्रांतियाँ समाज को विभाजित करने का कारण बनी हैं। जबकि वैदिक संस्कृति में ब्राह्मण कोई जन्मना उपाधि नहीं बल्कि गुण, कर्म और स्वभाव से प्राप्त की जाने … Read more

चार पुरुषार्थ: धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष – जीवन का पूर्ण मार्गदर्शन

चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष

धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष – सनातन जीवन दर्शन का आधार सनातन धर्म में जीवन को केवल एक सांसारिक यात्रा नहीं, बल्कि एक उद्देश्यपूर्ण और दिव्य प्रक्रिया माना गया है। इस यात्रा के चार प्रमुख स्तंभों को ‘पुरुषार्थ’ कहा गया है — धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। ये चारों मिलकर मनुष्य जीवन को संतुलित, पूर्ण … Read more

काम, क्रोध, मोह, लोभ, मत्सर – नरक के पांच द्वार: सनातन दृष्टिकोण से एक गहन विश्लेषण

काम क्रोध मोह लोभ मत्सर नरक के पांच द्वार

मानव जीवन में भावनाएँ और वासनाएँ स्वाभाविक हैं, किंतु जब ये अनियंत्रित हो जाती हैं, तो व्यक्ति आध्यात्मिक दृष्टि से पतन की ओर अग्रसर हो जाता है। सनातन वैदिक धर्मग्रंथों में नरक के पाँच प्रमुख द्वार—काम, क्रोध, मोह, लोभ, मत्सर—का विशेष उल्लेख मिलता है। इन्हें “पंच महापाप” भी कहा गया है, जो आत्मा की उन्नति … Read more

वेदों की समाज व्यवस्था: उद्देश्य, प्रकार और महत्व

वेदों की समाज व्यवस्था: उद्देश्य, प्रकार और महत्व

वेद मानवता के प्राचीनतम ग्रंथ हैं, जिनमें न केवल आध्यात्मिक ज्ञान है, अपितु एक संतुलित समाज निर्माण की संपूर्ण रूपरेखा भी है। वेदों में वर्णित समाज व्यवस्था मात्र एक वर्गीकरण नहीं, बल्कि मानव जीवन के विविध गुणों, प्रवृत्तियों और कर्म के अनुसार समाज को संगठित करने की एक वैज्ञानिक, नैतिक और धार्मिक प्रक्रिया है। इसका … Read more

वेदवाणी की उत्पत्ति: सृष्टि के प्रारंभ में मानव ने वेदों का ज्ञान कैसे पाया?

वेदवाणी की उत्पत्ति: सृष्टि के प्रारंभ में मानव ने वेदों का ज्ञान कैसे पाया?

“वेद” – एक ऐसा शब्द जो केवल ग्रंथों का नाम नहीं, बल्कि ब्रह्माण्ड के मूल नियमों, चेतना, ध्वनि और ऊर्जा के शाश्वत स्त्रोत का परिचायक है। यह केवल चार पुस्तकों तक सीमित नहीं, अपितु सृष्टि के आरंभ से ही अस्तित्व में रही एक दिव्य ध्वनि-श्रृंखला है। आज का यह ब्लॉग इसी विषय की गहराई में … Read more

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