अर्जुन और सुभद्रा के विवाह पर उठी शंकाओं का तर्कसंगत समाधान

अर्जुन और सुभद्रा के विवाह पर उठी शंकाओं का तर्कसंगत समाधान

भारतीय संस्कृति और विवाह परंपरा की गहराई भारत (आर्यावर्त) की संस्कृति और परंपरा विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक मानी जाती है। यह आर्य संस्कृति और वेदों के सिद्धांतों पर आधारित रही है। समय के प्रभाव और वेद विद्या के प्रसार में आई रुकावटों के कारण समाज में अनेक भ्रांतियाँ उत्पन्न हो गईं। … Read more

गृहस्थ आश्रम: आदर्श वैवाहिक जीवन के लिए वैदिक दृष्टिकोण

गृहस्थ आश्रम आदर्श वैवाहिक जीवन

सनातन धर्म में मानव जीवन को चार आश्रमों में विभाजित किया गया है – ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास। इनमें से गृहस्थ आश्रम सबसे महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि यही आश्रम व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है। वैदिक दृष्टिकोण से गृहस्थ जीवन केवल पति-पत्नी के बीच का संबंध नहीं, बल्कि … Read more

नैतिक शिक्षा: समाज और राष्ट्र निर्माण की आधारशिला

नैतिक शिक्षा: समाज और राष्ट्र निर्माण की आधारशिला

आज का युग भौतिक प्रगति और तकनीकी विकास की नई ऊँचाइयों को छू रहा है, लेकिन इसके साथ नैतिक मूल्यों का पतन भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। समाज में बढ़ते अपराध, भ्रष्टाचार, हिंसा, मानसिक तनाव, पारिवारिक विघटन और व्यक्तिगत स्वार्थपरकता इस बात का प्रमाण हैं कि नैतिक शिक्षा की अनदेखी हमारे जीवन … Read more

यज्ञ का वैज्ञानिक महत्व: पर्यावरण और स्वास्थ्य

यज्ञ भारतीय संस्कृति और वेदों का एक महत्वपूर्ण अंग है। प्राचीन काल से ही यज्ञ को आध्यात्मिक उन्नति, पर्यावरण शुद्धि और स्वास्थ्य लाभ का साधन माना गया है। आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी, यज्ञ में प्रयुक्त जड़ी-बूटियाँ और उसकी प्रक्रिया पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं। इस ब्लॉग में हम यज्ञ के … Read more

दुःखों से मुक्ति का वैदिक मार्ग: शास्त्रों से समाधान

दुःखों से मुक्ति का वैदिक मार्ग: शास्त्रों से समाधान

दु:ख और सुख जीवन के दो पहलू हैं, लेकिन दु:खों का अनुभव अधिक गहरा और पीड़ादायक होता है। हर व्यक्ति अपने जीवन में किसी न किसी प्रकार के दु:ख का अनुभव करता है—शारीरिक, मानसिक, सामाजिक या आध्यात्मिक। वैदिक दर्शन हमें यह सिखाता है कि दु:ख से पूरी तरह बचना संभव नहीं है, लेकिन इसे कम … Read more

वैदिक शिक्षा प्रणाली: प्राचीन गुरुकुल बनाम आधुनिक शिक्षा

वैदिक शिक्षा प्रणाली प्राचीन गुरुकुल बनाम आधुनिक शिक्षा

शिक्षा मनुष्य के विकास का आधार है। यह केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति के चारित्रिक, नैतिक, और आध्यात्मिक उत्थान में सहायक होती है। शिक्षा केवल जानकारी अर्जित करने का माध्यम नहीं, बल्कि जीवन को सही दिशा देने वाली शक्ति है। प्राचीन भारत में शिक्षा गुरुकुल प्रणाली पर आधारित थी, जहाँ … Read more

आयुर्वेद: वैदिक चिकित्सा पद्धति और आधुनिक विज्ञान

आयुर्वेद: वैदिक चिकित्सा पद्धति और आधुनिक विज्ञान

आयुर्वेद (Ayurveda) भारत की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है, जिसे “जीवन का विज्ञान” कहा जाता है। यह केवल एक चिकित्सा पद्धति नहीं है, बल्कि एक संपूर्ण जीवनशैली है, जो मनुष्य के शरीर, मन और आत्मा के संतुलन पर आधारित है। अर्थ:🔹 “आयुर्वेद” = आयु (जीवन) + वेद (ज्ञान) अर्थात “जीवन का ज्ञान”।🔹 यह वेदों से उत्पन्न … Read more

पंचमहाभूत: प्रकृति और मानव शरीर का संबंध

पंचमहाभूत: प्रकृति और मानव शरीर का संबंध

सनातन धर्म और आयुर्वेद में “पंचमहाभूत” का विशेष महत्व है। पंचमहाभूत—आकाश, वायु, अग्नि, जल, और पृथ्वी—सृष्टि के निर्माण के मूल तत्त्व हैं। इन तत्त्वों से न केवल यह ब्रह्मांड बना है, बल्कि मानव शरीर भी इन्हीं तत्त्वों का संगम है। वैदिक ग्रंथों के अनुसार, पंचमहाभूत और मानव शरीर के बीच गहरा संबंध है। यह लेख … Read more

जन्म और मृत्यु का रहस्य: एक वैदिक दृष्टिकोण

जन्म और मृत्यु का रहस्य एक वैदिक दृष्टिकोण

जन्म और मृत्यु, ये दोनों ही जीवन के ऐसे सत्य हैं जो प्रत्येक प्राणी के जीवन चक्र का हिस्सा हैं। वैदिक दृष्टिकोण के अनुसार, जन्म और मृत्यु केवल एक भौतिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि आत्मा के शाश्वत सत्य का प्रमाण है। यह संसार एक चक्र है, जिसमें आत्मा शरीर प्राप्त कर जन्म और मृत्यु के … Read more

गोत्र: वैदिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

गोत्र वैदिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

“गोत्र” भारतीय सनातन परंपरा का एक महत्वपूर्ण और प्राचीन तत्त्व है। यह केवल वंश या पितृसत्ता की पहचान नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरी वैदिक और वैज्ञानिक अवधारणाएँ भी छिपी हुई हैं। गोत्र प्रणाली हमारे पूर्वजों, विशेष रूप से वैदिक ऋषियों, की स्मृति और उनकी शिक्षाओं को संरक्षित रखने का एक साधन है। गोत्र का … Read more

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