वेदों की समाज व्यवस्था: उद्देश्य, प्रकार और महत्व
वेद मानवता के प्राचीनतम ग्रंथ हैं, जिनमें न केवल आध्यात्मिक ज्ञान है, अपितु एक संतुलित समाज निर्माण की संपूर्ण रूपरेखा भी है। वेदों में वर्णित समाज व्यवस्था मात्र एक वर्गीकरण नहीं, बल्कि मानव जीवन के विविध गुणों, प्रवृत्तियों और कर्म के अनुसार समाज को संगठित करने की एक वैज्ञानिक, नैतिक और धार्मिक प्रक्रिया है। इसका … Read more