जन्म और मृत्यु का रहस्य: एक वैदिक दृष्टिकोण

जन्म और मृत्यु का रहस्य एक वैदिक दृष्टिकोण

जन्म और मृत्यु, ये दोनों ही जीवन के ऐसे सत्य हैं जो प्रत्येक प्राणी के जीवन चक्र का हिस्सा हैं। वैदिक दृष्टिकोण के अनुसार, जन्म और मृत्यु केवल एक भौतिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि आत्मा के शाश्वत सत्य का प्रमाण है। यह संसार एक चक्र है, जिसमें आत्मा शरीर प्राप्त कर जन्म और मृत्यु के … Read more

गोत्र: वैदिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

गोत्र वैदिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

“गोत्र” भारतीय सनातन परंपरा का एक महत्वपूर्ण और प्राचीन तत्त्व है। यह केवल वंश या पितृसत्ता की पहचान नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरी वैदिक और वैज्ञानिक अवधारणाएँ भी छिपी हुई हैं। गोत्र प्रणाली हमारे पूर्वजों, विशेष रूप से वैदिक ऋषियों, की स्मृति और उनकी शिक्षाओं को संरक्षित रखने का एक साधन है। गोत्र का … Read more

समुद्र मंथन: जीवन के उतार-चढ़ाव का प्रतीक

समुद्र मंथन जीवन के उतार-चढ़ाव का प्रतीक

सनातन धर्म के ब्राह्मण ग्रंथ में समुद्र मंथन एक महत्वपूर्ण घटना है, जिसे केवल देवताओं और असुरों के संघर्ष और सहयोग का वर्णन करने वाली कथा के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसे जीवन के संघर्ष, धैर्य, और लक्ष्य प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है। समुद्र मंथन की यह कथा हमें यह सिखाती … Read more

शंबूक वध का सत्य: श्री राम पर उठे प्रश्नों का वैदिक और तार्किक उत्तर

शंबूक वध का सत्य श्री राम पर उठे प्रश्नों का वैदिक और तार्किक उत्तर

श्री रामचंद्र जी महाराज को मर्यादा पुरुषोत्तम और धर्म के आदर्श प्रतीक के रूप में सदियों से पूजा जाता रहा है। लेकिन कुछ विधर्मी और नास्तिक विचारधारा के लोग उन पर शंबूक नामक एक शूद्र तपस्वी की हत्या का आरोप लगाते हैं। इस कथा का उल्लेख गीता प्रेस की वाल्मीकि रामायण के उत्तर कांड में … Read more

धर्म, अधर्म, आपद्धर्म और धर्म के 10 लक्षण

धर्म, अधर्म, आपद्धर्म और धर्म के 10 लक्षण

सनातन की नींव धर्म के मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित है।, जो मानव जीवन को सत्य, न्याय और नैतिकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। धर्म, अधर्म और आपद्धर्म के परस्पर संबंध मानवता के कल्याण और समाज में संतुलन स्थापित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। धर्म को सत्य, न्याय, और कर्तव्य के पालन … Read more

संक्रांति: खगोलीय दृष्टिकोण से एक वैज्ञानिक अध्ययन

संक्रांति खगोलीय दृष्टिकोण से एक वैज्ञानिक अध्ययन

संक्रांति (Solstice और Equinox) एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है, जो पृथ्वी, सूर्य और ब्रह्मांड के आपसी संबंधों को उजागर करती है। आज इसे प्रायः मकर संक्रांति के रूप में पहचाना जाता है, लेकिन वास्तविकता इससे अलग है। संक्रांति वास्तव में एक खगोलीय परिवर्तन(Astronomical changes) है, जो पृथ्वी की धुरी के झुकाव और सूर्य के सापेक्ष … Read more

कर्म, विकर्म, अकर्म, और निष्काम कर्म का वैदिक सिद्धांत

कर्म, विकर्म, अकर्म, और निष्काम कर्म का वैदिक सिद्धांत

सनातन धर्म का आधार कर्म सिद्धांत है। यह ब्रह्मांडीय सत्य है कि हर क्रिया का परिणाम होता है। वैदिक ग्रंथों और भगवद गीता में कर्म, विकर्म, अकर्म, और निष्काम कर्म के बारे में विस्तृत वर्णन मिलता है। इन सिद्धांतों का उद्देश्य मानव को धर्म, नैतिकता, और मोक्ष के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देना है। … Read more

शस्त्र एवं शास्त्र और सनातन धर्म: एक व्यावहारिक दृष्टिकोण

शस्त्र एवं शास्त्र और सनातन धर्म: एक व्यावहारिक दृष्टिकोण

सनातन धर्म, जो शाश्वत सत्य और प्रकृति के नियमों पर आधारित है, केवल धर्मग्रंथों तक सीमित नहीं है। यह एक पूर्ण जीवन दर्शन है, जो व्यक्तिगत और सामाजिक विकास के साथ-साथ आत्मा और ब्रह्मांड के गहरे संबंधों को समझने का मार्ग प्रदान करता है। सनातन धर्म में शस्त्र (शक्ति का प्रतीक) और शास्त्र (ज्ञान का … Read more

वाणी के 8 आभूषण: शब्दों की सुंदरता और उनके प्रभाव

वाणी के 8 आभूषण शब्दों की सुंदरता और उनके प्रभाव

वाणी, मनुष्य की सबसे महत्वपूर्ण शक्तियों में से एक है। यह केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि हमारे विचार, भावनाएँ, और व्यक्तित्व का प्रतिबिंब है। हमारे प्राचीन शास्त्रों में वाणी को सजाने के लिए 8 आभूषणों का वर्णन किया गया है, जो शब्दों को न केवल प्रभावी बनाते हैं, बल्कि समाज और संबंधों में भी … Read more

अहिंसा और सनातन धर्म: एक व्यवहारिक दृष्टिकोण

अहिंसा और सनातन धर्म: एक व्यवहारिक दृष्टिकोण

अहिंसा, भारतीय संस्कृति और दर्शन का एक प्रमुख सिद्धांत है, जो केवल शारीरिक हिंसा से बचने तक सीमित नहीं है। यह मन, वचन और कर्म के हर स्तर पर करुणा और शांति की भावना को बनाए रखने का मार्ग दिखाता है। सनातन धर्म के ग्रंथों, जैसे वेद, उपनिषद, महाभारत, भगवद गीता, और योगसूत्र, में अहिंसा … Read more