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वेदों की समाज व्यवस्था: उद्देश्य, प्रकार और महत्व

वेद मानवता के प्राचीनतम ग्रंथ हैं, जिनमें न केवल आध्यात्मिक ज्ञान है, अपितु एक संतुलित समाज निर्माण की संपूर्ण रूपरेखा भी है। वेदों में वर्णित समाज व्यवस्था मात्र एक वर्गीकरण

रात्रिकालीन आयुर्वेदिक दिनचर्या: आयुर्वेद के अनुसार

भारतीय ऋषियों ने जीवन को स्वस्थ और संतुलित बनाए रखने के लिए दिनचर्या (Daily Routine) और रात्रिचर्या (Night Routine) दोनों पर विशेष जोर दिया। जैसे दिन की अच्छी शुरुआत ऊर्जा

शस्त्र एवं शास्त्र और सनातन धर्म: एक व्यावहारिक दृष्टिकोण

सनातन धर्म, जो शाश्वत सत्य और प्रकृति के नियमों पर आधारित है, केवल धर्मग्रंथों तक सीमित नहीं है। यह एक पूर्ण जीवन दर्शन है, जो व्यक्तिगत और सामाजिक विकास के

काम क्रोध मोह लोभ मत्सर नरक के पांच द्वार

मानव जीवन में भावनाएँ और वासनाएँ स्वाभाविक हैं, किंतु जब ये अनियंत्रित हो जाती हैं, तो व्यक्ति आध्यात्मिक दृष्टि से पतन की ओर अग्रसर हो जाता है। सनातन वैदिक धर्मग्रंथों

मनुस्मृति में प्रक्षिप्त (मिलावट) का समाधान

मनुस्मृति प्राचीन भारतीय धर्मशास्त्रों में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित ग्रंथ है, जिसे “धर्मशास्त्रों का आधार” माना जाता है। हालांकि इसे महर्षि मनु के नाम से जाना जाता है, परंतु

आयुर्वेद में मर्म बिंदु: स्वास्थ्य और जीवन ऊर्जा के संवेदनशील केंद्र आयुर्वेद, भारतीय चिकित्सा प्रणाली की एक प्राचीन और समग्र प्रणाली है, जिसमें शरीर, मन, और आत्मा के स्वास्थ्य को

वेदों में नदियों का प्रतीकात्मक अर्थ गंगा, यमुना और सरस्वती का योगिक रहस्य

वेद8 months ago

वेदों में गंगा, यमुना, सरस्वती का उल्लेख बार-बार आता है, लेकिन इसे एक भौगोलिक नदी तक सीमित कर देना वेदों की व्यापकता और उनके यौगिक अर्थों को सीमित करने जैसा

निष्काम कर्म योग और संन्यास योग: गीता के अनुसार कौन अधिक श्रेष्ठ?

भगवद गीता सनातन धर्म के महानतम ग्रंथों में से एक है, जिसमें श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जीवन, कर्म और धर्म का गूढ़ ज्ञान प्रदान किया है। गीता में विभिन्न प्रकार

शास्त्र प्रमाण क्या होते हैं और क्यों ज़रूरी हैं धर्म में?

वर्तमान युग में जब धर्म पर तरह-तरह के प्रश्न उठते हैं, तो एक गंभीर और बुनियादी प्रश्न यह भी होता है — “शास्त्र प्रमाण का क्या अर्थ है?” और “क्यों

जन्म और मृत्यु का रहस्य एक वैदिक दृष्टिकोण

जन्म और मृत्यु, ये दोनों ही जीवन के ऐसे सत्य हैं जो प्रत्येक प्राणी के जीवन चक्र का हिस्सा हैं। वैदिक दृष्टिकोण के अनुसार, जन्म और मृत्यु केवल एक भौतिक

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