धर्म और राजनीति का संबंध : धर्मविहीन राजनीति के दुष्परिणाम – वैदिक दृष्टि से विश्लेषण

धर्मविहीन राजनीति के दुष्परिणाम

भारतवर्ष की राजनीति सदैव धर्म से पोषित रही है। ‘धर्म’ केवल पूजा-पद्धति नहीं, बल्कि जीवन पद्धति और नीति का आधार है। जब राजनीति से धर्म अलग होता है, तब सत्ता स्वार्थ और भ्रष्टाचार का माध्यम बन जाती है। आज के भारत में यह विषय पहले से अधिक प्रासंगिक हो गया है। वेद, उपनिषद, महाभारत, रामायण, … Read more

वेदिक शास्त्रों में वर्ण और जाति: भ्रांतियाँ और समाधान

वैदिक शास्त्रों से जातिवाद का समाधान

वर्तमान भारतीय समाज की सबसे बड़ी कमजोरी जातिवाद है। यह विडंबना ही है कि जिसने संसार को वेद, उपनिषद, शास्त्र और ज्ञान दिए उसी समाज ने वर्ण व्यवस्था को जाति व्यवस्था में बदलकर अपने पैरों पर स्वयं ही कुल्हाड़ी चला दी। ब्राह्मण तथा शूद्र शब्द को लेकर समाज में अनेक भ्रांतियाँ हैं। इनका समाधान करना … Read more

ब्राह्मण जन्म से नहीं, कर्म से बनता है – शास्त्रों से जानिए सच

ब्राह्मण जन्म से नहीं, कर्म से बनता है

आज के समाज में जातिवाद एक ऐसी सामाजिक कुरीति बन चुका है, जिसने एकता और वैदिक मूल्यों को गहरा आघात पहुँचाया है। विशेषतः “ब्राह्मण” शब्द को लेकर फैली भ्रांतियाँ समाज को विभाजित करने का कारण बनी हैं। जबकि वैदिक संस्कृति में ब्राह्मण कोई जन्मना उपाधि नहीं बल्कि गुण, कर्म और स्वभाव से प्राप्त की जाने … Read more

मजहब, रिलिजन और धर्म में अंतर – एक गहन विश्लेषण

मजहब, रिलिजन और धर्म में अंतर - एक गहन विश्लेषण

आजकल संप्रदायों और विभिन्न मतमतांतरों ने धर्म शब्द का व्यापक रूप से दुरुपयोग किया है, जिसके परिणामस्वरूप धर्म के नाम पर अनेक झगड़े हो रहे हैं। यह प्रश्न उठता है कि धर्म वास्तव में है क्या? कई लोग धर्म को ‘रिलीजन’ या ‘मजहब’ के रूप में देखते हैं, लेकिन ये शब्द धर्म के वास्तविक अर्थ … Read more

शास्त्र प्रमाण क्या होते हैं और क्यों ज़रूरी हैं धर्म में?

शास्त्र प्रमाण क्या होते हैं और क्यों ज़रूरी हैं धर्म में?

वर्तमान युग में जब धर्म पर तरह-तरह के प्रश्न उठते हैं, तो एक गंभीर और बुनियादी प्रश्न यह भी होता है — “शास्त्र प्रमाण का क्या अर्थ है?” और “क्यों धर्म में केवल तर्क या भावना नहीं, बल्कि शास्त्र प्रमाण आवश्यक है?” सनातन धर्म केवल आस्था या परंपरा पर आधारित नहीं है, बल्कि यह शास्त्रों … Read more

होली का वास्तविक स्वरूप: वैदिक परंपरा और यज्ञ का प्रतीक

होली का वास्तविक स्वरूप

होली केवल रंगों और उमंग का पर्व नहीं है, बल्कि यह भारत की प्राचीनतम वैदिक परंपराओं में से एक महत्वपूर्ण यज्ञ पर्व भी है। आजकल कुछ लोग, यह तर्क देते हैं कि होली का त्यौहार नारी उत्पीड़न से जुड़ा हुआ है और यह एक मनुवादी सोच का प्रतीक है। वे कहते हैं कि होलिका दहन … Read more

अर्जुन और सुभद्रा के विवाह पर उठी शंकाओं का तर्कसंगत समाधान

अर्जुन और सुभद्रा के विवाह पर उठी शंकाओं का तर्कसंगत समाधान

भारतीय संस्कृति और विवाह परंपरा की गहराई भारत (आर्यावर्त) की संस्कृति और परंपरा विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक मानी जाती है। यह आर्य संस्कृति और वेदों के सिद्धांतों पर आधारित रही है। समय के प्रभाव और वेद विद्या के प्रसार में आई रुकावटों के कारण समाज में अनेक भ्रांतियाँ उत्पन्न हो गईं। … Read more

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